Tantra

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तन्त्र क्या है (Tantra Kya Hai) 

तंत्र क्या है, आपको यह बात मैं एक उदाहरण देकर समझाता हूँ, जब आपकी तंत्रिका प्रणाली मे कुछ फंस जाता है, तब आपका सांस लेना बड़ा मुश्किल सा होता है, जब कोई टोना, टोटका, जादू काम नहीं आता है, तब आपको कोई डॉ, दवाई, पानी जो भी आपको मिल जाता है तो वह आपको प्रणाली को ठीक कर देता है।

तंत्र का सही मायने मे पहला अर्थ तो यह है कि स्वयं के अंदर हो रहे बदलाव को समझना, एक ऐसा टूल किट जिससे आप स्वयं को जानने का हर संभव प्रयास करते हैं,

 

जब आपको अपने शरीर के आयाम से ऊपर उठकर कुछ विशेष जानने या करने की इच्छा होती है तो आप अंदर की सभी ऊर्जा को केन्द्रित करके एक विशेष दिशा मे लगा देना चाहते हैं, जिसके लिए यह सब करना असंभव होगा वह आपको तांत्रिक कहेगा,

 

आज के इस युग मे लोगों को यह समझ मे आने लगा है कि बाहर की खुशियाँ मात्र थोड़ी बहुत देर की हैं, परंतु अंदर की खुशी आपा जब चाहे तब पा सकते हैं और यह किसी पर निर्भर नहीं होती तब और ज्यादा खुशी की अनुभूति होती है, तो जिन लोगों ने अपने अंदर झाँककर इस तांत्रिक प्रणाली को समझ लिया है उनके लिए बहुत अच्छी बात है।

          तन्त्र शास्त्र के प्रयोग से तांत्रिक किसी भी जटिल कार्य (शुभ या अशुभ) को सहज ही सफल करने में सक्षम होते हैं। अगर तन्त्र का प्रयोग केवल शुभता के लिए किया जाये तो धरती किसी स्वर्ग से काम नहीं होगी। तन्त्र शास्त्र के बारे में समाज की अज्ञानता ही इसके डर का मुख्य कारण हैं। क्यूंकि कई तांत्रिकों ने तन्त्र के गलत प्रयोग से लोगों की जिंदगी बरबाद कर दी या उन्हें बीमार बना दिया और मार डाला, इसलिए वे समझते हैं कि तन्त्र शास्त्र हमेशा बुरा होता है। दरअसल तन्त्र शास्त्र में कई पंथ और शैलियां होती हैं इसकी कोई एक प्रणाली नहीं है। तन्त्र शास्त्र प्राचीन काल से वेदों के समय से ही हमारे धर्म का एक अभिन्न अंग रहा है। वेदों में भी इसका उल्लेख है और कुछ ऐसे मन्त्र भी हैं जो पारलौकिक शक्तियों से संबंधित हैं इसलिए कहा जा सकता है कि तन्त्र वैदिक कालीन है।
मन्त्र एवं तन्त्र साधना के क्षेत्र में लोगों में बहुत रूचि है, परन्तु अभी भी समाज तन्त्र के नाम से भय व्याप्त रहता है। यह एक विडम्बना रही है, कि भारतीय ज्ञान का यह उज्ज्वलतम पक्ष अर्थात तन्त्र से समाज भयभीत है| परन्तु सचाई यह है के तन्त्र एक पूर्ण शुद्ध एवं सात्विक विद्या है।

          समाज में आज बहुत ही ऐसे व्यक्ति हैं जो साधनात्मक जीवन जीने की इच्छा रखते हैं परन्तु मात्र दैनिक पूजा एवं अर्चना से ही प्रसन्न हो जाते हैं। उनमें तन्त्र की दुर्लभ एवं गुप् साधनाओं के प्रति कोई रुझान नहीं है| पूजा एवं साधना में बहुत अंतर होता है। साधना कोई पंडित या पुजारी नहीं दे सकता यह केवल योग्य गुरु ही दे सकते हैं। अगर व्यक्ति किसी योग्य गुरु के मार्ग दर्शन पे चले तो शीघ्र ही तन्त्र में सफलता प्राप्त कर सकता है।

तन्त्र में मुख्य ६ तरह के कार्य आते है :

वशीकरण : व्यक्ति के पास सबसे ज्यादा खतरनाक चीज होती है उसका दिमाग यदि वो उसके कंट्रोल संयम मे न हो तो यह उसको मानव से दानव बना देता है इसीलिए अपने दिमाग को अपने वश मे करना सबसे पहला कर्म है, इसका अर्थ होता है किसी को अपने वश मे करना, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करवाना, आप अपने आपको वश मे करें, अपने मन अंदर क्या गंदगी चल रही है, उसको खत्म करें और उस गंदगी को कौन सा टूल (शरीर का तंत्र ) पैदा कर रहा है उसको अपने वश मे करें, बाहरी वस्तु, इच्छा पूर्ति के लिए इसका प्रयोग करना आपको थोड़ी बहुत ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी बड़ी मुसीबत मे डाल सकता है।


मारन : मारन का प्रयोग किसी भी शत्रु को मरने के लिए किया जाता है। या आम तोर पर ऐसे शत्रुओं पर किया जाता है जो आए दिन हमारे रस्ते में रुकावटें और परेशानिया खड़ी करते रहते हैं। इसके इस्तेमाल से हम अपने दुश्मन से मिलने वाले कष्टों से छुटकारा पा सकते हैं। यदि कोई हमारा दुश्मन हमें परेशान करता है या हमारे काम में रुकावट डालता है तो यह प्रयोग उस स्थिति में बहुत लाभदायक है l इससे हम अपने दुश्मन को कष्ट दे सकते हैं ताकि वह दोबारा हमें परेशान न करे।
उच्चाटन : उच्चाटन का प्रयोग किसी भी व्यक्ति का मोह भांग करने या कार्य को छुड़वाने के लिए किया जाता है।
मोहन : मोहन के प्रयोग से हम व्यक्तियों के पूरे समूह को अपनी इच्छा अनुसार कार्य करवाने हेतु मोहित कर सकते है।
विद्वेषण : विद्वेषण का प्रयोग अपने शतुओं को आपस में लड़वाने हेतु किया जाता है। जब संख्या में शत्रु अधिक हों तो विद्वेषण का प्रयोग कर हम उनको आपस में लड़वा कर अपनी परेशानी दूर कर सकते हैं । इस प्रयोग से उनकी लड़ाई इतनी भयंकर होती है की वे एक दुसरे की जान भी ले सकते हैं।
स्तम्भन : स्तम्भन का प्रयोग शत्रु की बुद्धि एवं बल को इस प्रकार भ्रष्ट कर देता है की वह यह निर्णय नहीं ले पाता के क्या करना है और क्या नहीं । उसकी समझ में इस प्रकार गड़बड़ हो जाएगी की उसको पता भी नहीं चलेगी जो काम कर रहा है वह सही है या गलत।